
Lectionary Theme: Mission Sunday | Christian mission: Be Christ-like Eighth Sunday after Pentecost
August 03 2025
Holy Communion Service in Malayalam
1. यह यहोवा का सन्देश यिर्मयाह के लिये है:
2. यिर्मयाह, यहोवा के मन्दिर के द्वार के सामने खड़े हो। द्वार पर यह सन्देश घोषित करो: “‘यहूदा राष्ट्र के सभी लोगों, यहोवा के यहाँ का सन्देश सुनो। यहोवा की उपासना करने के लिये तुम सभी लोग जो इन द्वारों से होकर आए हो इस सन्देश को सुनो।
3. इस्राएल के लोगों का परमेश्वर यहोवा है। सर्वशक्तिमान यहोवा जो कहता है, वह यह है, अपना जीवन बदलो और अच्छे काम करो। यदि तुम ऐसा करोगे तो मैं तुम्हें इस स्थान पर रहने दूँगा।
4. इस झूठ पर विश्वास न करो जो कुछ लोग बोलते हैं। वे कहते हैं, “यह यहोवा का मन्दिर है। यहोवा का मन्दिर है! यहोवा का मन्दिर है!”
5. यदि तुम अपना जीवन बदलोगे और अच्छा काम करोगे, तो मैं तुम्हें इस स्थान पर रहने दूँगा। तुम्हें एक दूसरे के प्रति निष्ठावान होना चाहिए।
6. तुम्हें अजनबियों के साथ भी निष्ठावान होना चाहिये। तुम्हें विधवा और अनाथ बच्चों के लिये उचित काम करना चाहिये। निरपराध लोगों को न मारो। अन्य देवताओं का अनुसरण न करो। क्यों क्योंकि वे तुम्हारे जीवन को नष्ट कर देंगे।
7. यदि तुम मेरी आज्ञा का पालन करोगे तो मैं तुम्हें इस स्थान पर रहने दूँगा। मैंने यह प्रदेश तुम्हारे पूर्वजों को अपने पास सदैव रखने के लिये दिया।
1. परमेश्वर को साक्षी करके और मसीह यीशु को अपनी साक्षी बना कर जो सभी जीवितों और जो मर चुके हैं, उनका न्याय करने वाला है, और क्योंकि उसका पुनःआगमन तथा उसका राज्य निकट है, मैं तुझे शपथ पूर्वक आदेश देता हूँ:
2. सुसमाचार का प्रचार कर। चाहे तुझे सुविधा हो चाहे असुविधा, अपना कर्तव्य करने को तैयार रह। लोगों को क्या करना चाहिए, उन्हें समझा। जब वे कोई बुरा काम करें, उन्हें चेतावनी दे। लोगों को धैर्य के साथ समझाते हुए प्रोत्साहित कर।
3. मैं यह इसलिए बता रहा हूँ कि एक समय ऐसा आयेगा जब लोग उत्तम उपदेश को सुनना तक नहीं चाहेंगे। वे अपनी इच्छाओं के अनुकूल अपने लिए बहुत से गुरु इकट्ठे कर लेंगे, जो वही सुनाएँगे जो वे सुनना चाहते हैं।
4. वे अपने कानों को सत्य से फेर लेंगे और कल्पित कथाओं पर ध्यान देने लगेंगे।
5. किन्तु तू निश्चयपूर्वक हर परिस्थिति में अपने पर नियन्त्रण रख, यातनाएँ झेल और सुसमाचार के प्रचार का काम कर। जो सेवा तुझे सौंपी गयी है, उसे पूरा कर।
8. सबसे पहले मैं यीशु मसीह के द्वारा तुम सब के लिये अपने परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहता हूँ। क्योंकि तुम्हारे विश्वास की चर्चा संसार में सब कहीं हो रही है।
9. प्रभु जिसकी सेवा उसके पुत्र के सुसमाचार का उपदेश देते हुए मैं अपने हृदय से करता हूँ, प्रभु मेरा साक्षी है, कि मैं तुम्हें लगातार याद करता रहता हूँ।
10. अपनी प्रार्थनाओं में मैं सदा ही विनती करता रहता हूँ कि परमेश्वर की इच्छा से तुम्हारे पास आने की मेरी यात्रा किसी तरह पूरी हो।
11. मैं बहुत इच्छा रखता हूँ क्योंकि मैं तुमसे मिल कर कुछ आत्मिक उपहार देना चाहता हूँ, जिससे तुम शक्तिशाली बन सको।
12. या मुझे कहना चाहिये कि मैं जब तुम्हारे बीच होऊँ, तब एक दूसरे के विश्वास से हम परस्पर प्रोत्साहित हों।
13. भाईयों, मैं चाहता हूँ, कि तुम्हें पता हो कि मैंने तुम्हारे पास आना बार-बार चाहा है ताकि जैसा फल मैंने ग़ैर यहूदियों में पाया है, वैसा ही तुमसे भी पा सकूँ, किन्तु अब तक बाधा आती ही रही।
14. मुझ पर यूनानियों और ग़ैर यूनानियों, बुद्धिमानों और मूर्खो सभी का क़र्ज़ है।
15. इसीलिये मैं तुम रोमवासियों को भी सुसमाचार का उपदेश देने को तैयार हूँ।
16. मैं सुसमाचार के लिए शर्मिन्दा नहीं हूँ क्योंकि उसमें पहले यहूदी और फिर ग़ैर यहूदी जो भी उसमें विश्वास रखता है—उसके उद्धार के लिये परमेश्वर की सामर्थ्य है।
17. क्योंकि सुसमाचार में यह दर्शाया गया है, परमेश्वर मनुष्य को अपने प्रति सही कैसे बनाता है। यह आदि से अंत तक विश्वास पर टिका है जैसा कि शास्त्र में लिखा है, “धर्मी मनुष्य विश्वास से जीवित रहेगा।”
16. “सावधान! मैं तुम्हें ऐसे ही बाहर भेज रहा हूँ जैसे भेड़ों को भेड़ियों के बीच में भेजा जाये। सो साँपों की तरह चतुर और कबूतरों के समान भोले बनो।
17. लोगों से सावधान रहना क्योंकि वे तुम्हें बंदी बनाकर यहूदी पंचायतों को सौंप देंगे और वे तुम्हें अपने आराधनालयों में कोड़ों से पिटवायेंगे।
18. तुम्हें शासकों और राजाओं के सामने पेश किया जायेगा, क्योंकि तुम मेरे अनुयायी हो। तुम्हें अवसर दिया जायेगा कि तुम उनकी और ग़ैर यहूदियों को मेरे बारे में गवाही दो।
19. जब वे तुम्हें पकड़े तो चिंता मत करना कि, तुम्हें क्या कहना है और कैसे कहना है। क्योंकि उस समय तुम्हें बता दिया जायेगा कि तुम्हें क्या बोलना है।
20. याद रखो बोलने वाले तुम नहीं हो, बल्कि तुम्हारे परम पिता की आत्मा तुम्हारे भीतर बोलेगी।
21. “भाई अपने भाईयों को पकड़वा कर मरवा डालेंगे, माता-पिता अपने बच्चों को पकड़वायेंगे और बच्चे अपने माँ-बाप के विरुद्ध हो जायेंगे। वे उन्हें मरवा डालेंगे।
22. मेरे नाम के कारण लोग तुमसे घृणा करेंगे किन्तु जो अंत तक टिका रहेगा उसी का उद्धार होगा।
23. वे जब तुम्हें एक नगर में सताएँ तो तुम दूसरे में भाग जाना। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि इससे पहले कि तुम इस्राएल के सभी नगरों का चक्कर पूरा करो, मनुष्य का पुत्र दुबारा आ जाएगा।





