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Student Dedication Sunday

03-Aug-25 02:00 PM

Student Dedication Sunday


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Welcome To St Thomas Mar Thoma Church, Indianapolis

Welcome to the website of St. Thomas Mar Thoma Church, Indianapolis, a parish of the Malankara Mar Thoma Syrian Church of Malabar, Thiruvalla, Kerala, India. We have completed sixteen years of existence in this land.

We value our Christian heritage, rich Liturgy, Eucharistic Worship, Sacraments and profound Faith in the Holy Scriptures.....

 

Worship Service

Sunday
    
July 13, 2025

Services

02:00 PM

Holy Communion Service in English

Lectionary Theme: Clergy Sunday – Jesus Christ: Icon of Ordained ministry (Fifth Sunday after Pentecost)

  •   

    1. यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा,

    2. “मनुष्य के पुत्र, अपने लोगों से बातें करो। उनसे कहो, ‘मैं शत्रु के सैनिकों को उस देश के विरुद्ध युद्ध के लिये ला सकता हूँ। जब ऐसा होगा तो लोग एक व्यक्ति को पहरेदार के रूप में चुनेंगे।

    3. यदि पहरेदार शत्रु के सैनिकों को आते देखता है, तो वह तुरही बजाता है और लोगों को सावधान करता है।

    4. यदि लोग उस चेतावनी को सुनें किन्तु अनसुनी करें तो शत्रु उन्हें पकड़ेगा और उन्हें बन्दी के रूप में ले जायेगा। यह व्यक्ति अपनी मृत्यु के लिये स्वयं उत्तरदायी होगा।

    5. उसने तुरही सुनी, पर चेतावनी अनसुनी की। इसलिये अपनी मृत्यु के लिये वह स्वयं दोषी है। यदि उसने चेतावनी पर ध्यान दिया होता तो उसने अपना जीवन बचा लिया होता।

    6. “‘किन्तु यह हो सकता है कि पहरेदार शत्रु के सैनिकों को आता देखता है, किन्तु तुरही नहीं बजाता। उस पहरेदार ने लोगों को चेतावनी नहीं दी। शत्रु उन्हें पकड़ेगा और उन्हें बन्दी बनाकर ले जाएगा। वह व्यक्ति ले जाया जाएगा क्योंकि उसने पाप किया। किन्तु पहरेदार भी उस आदमी की मृत्यु का उत्तरदायी होगा।’

    7. “अब, मनुष्य के पुत्र, मैं तुमको इस्राएल के परिवार का पहरेदार चुन रहा हूँ। यदि तुम मेरे मुख से कोई सन्देश सुनो तो तुम्हें मेरे लिये लोगों को चेतावनी देनी चाहिए।

    8. मैं तुमसे कह सकता हूँ, ‘यह पापी व्यक्ति मरेगा।’ तब तुम्हें उस व्यक्ति के पास जाकर मेरे लिये उसे चेतावनी देनी चाहिए। यदि तुम उस पापी व्यक्ति को चेतावनी नहीं देते और उसे अपना जीवन बदलने को नहीं कहते, तो वह पापी व्यक्ति मरेगा, क्योंकि उसने पाप किया। किन्तु मैं तुम्हें उसकी मृत्यु का उत्तरदायी बनाऊँगा।

    9. किन्तु यदि तुम उस बुरे व्यक्ति को अपना जीवन बदलने के लिये और पाप करना छोड़ने के लिये चेतावनी देते हो और यदि वह पाप करना छोड़ने से इन्कार करता है तो वह मरेगा क्योंकि उसने पाप किया, किन्तु तुमने अपना जीवन बचा लिया।” परमेश्वर लोगों को नष्ट करना नहीं चाहता

  •   

    1. अब मैं तुम्हारे बीच जो बुज़ुर्ग हैं, उनसे निवेदन करता हूँ: मैं, जो स्वयं एक बुज़ुर्ग हूँ और मसीह ने जो यातनाएँ झेली हैं, उनका साक्षी हूँ तथा वह भावी महिमा जो प्रकट होने को है, उसका सहभागी हूँ।

    2. राह दिखाने वाले परमेश्वर का जन-समूह तुम्हारी देख-रेख में है और निरीक्षक के रूप में तुम उसकी सेवा करते हो; किसी दबाव के कारण नहीं, बल्कि परमेश्वर की इच्छानुसार ऐसा करने की स्वेच्छा के कारण तुम अपना यह काम धन के लालच में नहीं बल्कि सेवा करने के प्रति अपनी तत्परता के कारण करते हो।

    3. देख-रेख के लिए जो तुम्हें सौंपे गए हैं, तुम उनके कठोर निरंकुश शासक मत बनो। बल्कि लोगों के लिए एक आदर्श बनो।

    4. ताकि जब वह प्रधान रखवाला प्रकट हो तो तुम्हें विजय का वह भव्य मुकुट प्राप्त हो जिसकी शोभा कभी घटती नहीं है।

    5. इसी प्रकार हे नव युवकों! तुम अपने धर्मवृद्धों के अधीन रहो। तुम एक दूसरे के प्रति विनम्रता धारण करो, क्योंकि “परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है किन्तु दीन जनों पर सदा अनुग्रह रहता है।”

    6. इसलिए परमेश्वर के महिमावान हाथ के नीचे अपने आपको नवाओ। ताकि वह उचित अवसर आने पर तुम्हें ऊँचा उठाए।

    7. तुम अपनी सभी चिंताएँ उस पर छोड़ दो क्योंकि वह तुम्हारे लिए चिंतित है।

    8. अपने पर नियन्त्रण रखो। सावधान रहो। तुम्हारा शत्रु शैतान एक गरजते सिंह के समान इधर-उधर घूमते हुए इस ताक में रहता है कि जो मिले उसे फाड़ खाए।

    9. उसका विरोध करो और अपने विश्वास पर डटे रहो क्योंकि तुम तो जानते ही हो कि समूचे संसार में तुम्हारे भाई बहन ऐसी ही यातनाएँ झेल रहे हैं।

    10. किन्तु सम्पूर्ण अनुग्रह का स्रोत परमेश्वर जिसने तुम्हें यीशु मसीह में अनन्त महिमा का सहभागी होने के लिए बुलाया है, तुम्हारे थोड़े समय यातनाएँ झेलने के बाद स्वयं ही तुम्हें फिर से स्थापित करेगा, समर्थ बनाएगा और स्थिरता प्रदान करेगा।

    11. उसकी शक्ति अनन्त है। आमीन। पत्र का समापन

  •   

    7. किन्तु हममें से हर एक को मसीह के वरदान के परिमाण के अनुसार अनुग्रह प्रदान किया गया है,

    7. हममें से हर किसी को उसके अनुग्रह का एक विशेष उपहार दिया गया है जो मसीह की उदारता के अनुकूल ही है।

    8. इसलिए शास्त्र कहता है: “उसने विजयी को ऊँचे चढ़, बंदी बनाया और उसने लोगों को अपने आनन्दी वर दिये।”

    9. अब देखो, जब वह कहता है, “ऊँचे चढ़” तो इसका अर्थ इसके अतिरिक्त क्या है? कि वह धरती के निचले भागों पर भी उतरा था।

    10. जो नीचे उतरा था, वह वही है जो ऊँचे भी चढ़ा था इतना ऊँचा कि सभी आकाशों से भी ऊपर, ताकि वह सब कुछ को सम्पूर्ण कर दे।

    11. उसने स्वयं ही कुछ को प्रेरित होने का वरदान दिया तो कुछ को नबी होने का तो कुछ को सुसमाचार के प्रचारक होने का तो कुछ को परमेश्वर के जनों की सुरक्षा और शिक्षा का।

    12. मसीह ने उन्हें ये वरदान संत जनों की सेवा कार्य के हेतु तैयार करने को दिये ताकि हम जो मसीह की देह है, आत्मा में और दृढ़ हों।

    13. जब तक कि हम सभी विश्वास में और परमेश्वर के पुत्र के ज्ञान में एकाकार होकर परिपक्व पुरुष बनने के लिए विकास करते हुए मसीह के सम्पूर्ण गौरव की ऊँचाई को न छू लें।

    14. ताकि हम ऐसे बच्चे ही न बने रहें जो हर किसी ऐसी नयी शिक्षा की हवा से उछाले जायें, जो हमारे रास्ते में बहती है, लोगों के छलपूर्ण व्यवहार से, ऐसी धूर्तता से, जो ठगी से भरी योजनाओं को प्रेरित करती है, इधर-उधर भटका दिये जाते हैं।

    15. बल्कि हम प्रेम के साथ सत्य बोलते हुए हर प्रकार से मसीह के जैसे बनने के लिये विकास करते जायें। मसीह सिर है,

    16. जिस पर समूची देह निर्भर करती है। यह देह उससे जुड़ती हुई प्रत्येक सहायक नस से संयुक्त होती है और जब इसका हर अंग जो काम उसे करना चाहिए, उसे पूरा करता है तो प्रेम के साथ समूची देह का विकास होता है और यह देह स्वयं सुदृढ़ होती है। ऐसे जीओ

  •   

    35. यीशु यहूदी आराधनालयों में उपदेश देता, परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार करता, लोगों के रोगों और हर प्रकार के संतापों को दूर करता उस सारे क्षेत्र में गाँव-गाँव और नगर-नगर घूमता रहा था।

    36. यीशु जब किसी भीड़ को देखता तो उसके प्रति करुणा से भर जाता था क्योंकि वे लोग वैसे ही सताये हुए और असहाय थे, जैसे वे भेड़ें होती हैं जिनका कोई चरवाहा नहीं होता।

    37. तब यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा, “तैयार खेत तो बहुत हैं किन्तु मज़दूर कम हैं।

    38. इसलिए फसल के प्रभु से प्रार्थना करो कि, वह अपनी फसल को काटने के लिये मज़दूर भेजे।”

Our Leaders

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Bishop : Rt. Rev. Dr. Abraham Mar Paulos Episcopa

Rt. Rev. Dr. Abraham Mar Paulos Episcopa ( Rev. Dr. K.U.Abraham) was born on 16th August 1953 as the son of Kanjirathara KC Uthuppu and Sosamma of Kottayam Manganam St. Peters Mar Thoma Parish. He completed school education from Muttampalam Govt. LP School and Kottayam MT Seminary High School. College education was done in CMS college and Baselios College of Kottayam. Theological study was done in Kottayam Mar Thoma Theological Seminary. He was ordained Semmas on 31st May 1980 and Kaseessa on 28th June 1980. Higher studies was one in Princeston University. He got doctorate from Boston University in Christian Education. He was consecrated as Ramban on 11th February 2005 by Geevarghese Mar Athanasius Thirumeni at Kottayam Jerusalem Mar Thoma Church.

Our Leaders

Vicar : Rev. Kurien Jose

Dearly beloved in Christ, “Taste and see that the Lord is good; blessed is the one who takes refuge in him.” (Ps.34:8) Greetings to all in the name of our Lord and saviour Jesus Christ. I am indeed very happy that I could address through the ‘Parish News’ once again. We had the World Sunday school Celebration, Christmas Carol rounds, Carol music night and Christmas service.I express my sincere thanks to all our Members, especially the Choir, the Youths, Sunday School Children, Sevika Sangham, Edavaka Mission and all those who participated in the Carol rounds and Carol night. I congratulate each and every one who whole heartedly participated and supported these services.....

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Our Church Organizations

Church Organizations

Choir

Music is an integral part of our Malayalam and English worship services and an important element of the congregation’s outreach to the Western Suburbs community.

Church Organizations

Sunday School

TRAIN A CHILD IN THE WAY HE SHOULD GO. AND WHEN HE IS OLD HE WILL NOT TURN FROM IT. PROVERBS 22:6

Church Organizations

Young Family Fellowship

FOR WHERE TWO OR THREE GATHER IN MY NAME, THERE AM I WITH THEM." Matthew 18:20

Church Organizations

Parish Mission

Whatever you do, work at it with all your heart, as working for the Lord, not for human masters, since you know that you will receive

Church Organizations

Women's Fellowship

Mar Thoma Suvishesha Sevika Sanghom is the women's organization of Mar Thoma Church that was established with the purpose of providing

Church Organizations

Youth Fellowship

Our logo “Today’s youth for tomorrow’s world” is our goal and our youths are supporting, synchronizing and partnering with other organizations of our church.

Upcoming Event

13Jul
Sunday | 02:00 PM

Holy Communion Service in English

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20Jul
Sunday | 02:00 PM

Holy Communion Service in Malayalam

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27Jul
Sunday | 02:00 PM

Praise and Worship Service

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Bless Us Lord

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Now As We Come To Your Table

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Lord Have Mercy

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