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Praise and Worship Service

Worship Service

Sunday
    
March 16, 2025

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02:00 PM

Praise and Worship Service

Sunday Events



Lectionary Theme: Jesus Christ who gives healing and redemption from sin (Third Sunday of the Lent)

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    1. नामान अराम के राजा की सेना का सेनापति था। नामान अपने राजा के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण था। नामान इसलिये अत्याधिक महत्वपूर्ण था क्योंकि यहोवा ने उसका उपयोग अराम को विजय दिलाने के लिए किया था। नामान एक महान और शक्तिशाली व्यक्ति था, किन्तु वह विकट चर्मरोग से पीड़ित था।

    2. अरामी सेना ने कई सेना की टुकड़ियों को इस्राएल में लड़ने भेजा। सैनिकों ने बहुत से लोगों को अपना दास बना लिया। एक बार उन्होंने एक छोटी लड़की को इस्राएल देश से लिया। यह छोटी लड़की नामान की पत्नी की सेविका हो गई।

    3. इस लड़की ने नामान की पत्नी से कहा, “मैं चाहती हूँ कि मेरे स्वामी (नामान) उस नबी (एलीशा) से मिलें जो शोमरोन में रहता है। वह नबी नामान के विकट चर्मरोग को ठीक कर सकता है।”

    4. नामान अपने स्वामी (अराम के राजा) के पास गया। नामान ने अराम के राजा को वह बात बताई जो इस्राएली लड़की ने कही थी।

    5. तब अराम के राजा ने कहा, “अभी जाओ और मैं एक पत्र इस्राएल के राजा के नाम भेजूँगा।” अतः नामान इस्राएल गया। नामान अपने साथ कुछ भेंट ले गया। नामान साढ़े सात सौ पौंड चाँदी, छः हज़ार स्वर्ण मुद्राएं, और दस बार बदलने के वस्त्र ले गया।

    6. नामान इस्राएल के राजा के लिये अराम के राजा का पत्र भी ले गया। पत्र में यह लिखा था: “यह पत्र यह जानकारी देने के लिये है कि मैं अपने सेवक नामान को तुम्हारे यहाँ भेज रहा हूँ। उसके विकट चर्मरोग को ठीक करो।”

    7. जब इस्राएल का राजा उस पत्र को पढ़ चुका तो उसने अपनी चिन्ता और परेशानी को प्रकट करने के लिये अपने वस्त्र फाड़ डाले। इस्राएल के राजा ने कहा, “क्या मैं परमेश्वर हूँ नहीं! जीवन और मृत्यु पर मेरा कोई अधिकार नहीं। तब अराम के राजा ने मेरे पास विकट चर्मरोग के रोगी को स्वस्थ करने के लिये क्यों भेजा इसे जरा सोचो और तुम देखोगे कि यह एक चाल है। अराम का राजा युद्ध आरम्भ करना चाहता है।”

    8. परमेश्वर के जन (एलीशा) ने सुना कि इस्राएल का राजा परेशान है और उसने अपने वस्त्र फाड़ डाले हैं। एलीशा ने अपना सन्देश राजा के पास भेजाः “तुमने अपने वस्त्र क्यों फाड़े नामान को मेरे पास आने दो। तब वह समझेगा कि इस्राएल में कोई नबी भी है।”

    9. अतः नामान अपने घोड़ों और रथों के साथ एलीशा के घर आया और द्वार के बाहर खड़ा रहा।

    10. एलीशा ने एक सन्देशवाहक को नामान के पास भेजा। सन्देशवाहक ने कहा, “जाओ, और यरदन नदी में सात बार नहाओ। तब तुम्हारा चर्मरोग स्वस्थ हो जाएगा और तुम पवित्र तथा शुद्ध हो जाओगे।”

    11. नामान क्रोधित हुआ और वहाँ से चल पड़ा। उसने कहा, “मैंने समझा था कि कम से कम एलीशा बाहर आएगा, मेरे सामने खड़ा होगा और यहोवा, अपने परमेश्वर के नाम कुछ कहेगा। मैं समझ रहा था कि वह मेरे शरीर पर अपना हाथ फेरेगा और कुष्ठ को ठीक कर देगा।

    12. दमिश्क की नदियाँ अबाना और पर्पर इस्राएल के सभी जलाशयों से अच्छी हैं! मैं दमिश्क की उन नदियों में क्यों नहीं नहाऊँ और पवित्र हो जाऊँ” इसलिये नामान वापस चला गया। वह क्रोधित था।

    13. किन्तु नामान के सेवक उसके पास गए और उससे बातें कीं। उन्होंने कहा, “पिता यदि नबी ने आपसे कोई महान काम करने को कहा होता तो आप उसे जरुर करते। अतः आपको उसकी आज्ञा का पालन करना चाहिये यदि वह कुछ सरल काम करने को भी कहता है और उसने कहा, ‘नहाओ और तुम पवित्र और शुद्ध हो जाओगे।’”

    14. इसलिये नामान ने वह काम किया जो परमेश्वर के जन (एलीशा) ने कहा, नामान नीचे उतरा और उसने सात बार यरदन नदी में स्नान किया और नामान पवित्र और शुद्ध हो गया। नामान की त्वचा बच्चे की त्वचा की तरह कोमल हो गई।

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    16. फिर ऐसा हुआ कि जब हम प्रार्थना स्थल की ओर जा रहे थे, हमें एक दासी मिली जिसमें एक शकुन बताने वाली आत्मा समायी थी। वह लोगों का भाग्य बता कर अपने स्वामियों को बहुत सा धन कमा कर देती थी।

    17. वह हमारे और पौलुस के पीछे पीछे यह चिल्लाते हुए हो ली, “ये लोग परम परमेश्वर के सेवक हैं। ये तुम्हें मुक्ति के मार्ग का संदेश सुना रहे हैं।”

    18. वह बहुत दिनों तक ऐसा ही करती रही सो पौलुस परेशान हो उठा। उसने मुड़ कर उस आत्मा से कहा, “मैं यीशु मसीह के नाम पर तुझे आज्ञा देता हूँ, इस लड़की में से बाहर निकल आए।” सो वह उसमें से तत्काल बाहर निकल गयी।

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    6. क्योंकि हम जब अभी निर्बल ही थे तो उचित समय पर हम भक्तिहीनों के लिए मसीह ने अपना बलिदान दिया।

    7. कुछही लोग किसी मनुष्य के लिए अपना प्राण त्यागने तैयार हो जाते है, चाहे वो भक्त मनुष्य क्यों न हो।

    8. पर परमेश्वर ने हम पर अपना प्रेम दिखाया। जब कि हम तो पापी ही थे, किन्तु यीशु ने हमारे लिये प्राण त्यागे।

    9. क्योंकि अब जब हम उसके लहू के कारण धर्मी हो गये है तो अब उसके द्वारा परमेश्वर के क्रोध से अवश्य ही बचाये जायेंगे।

    10. क्योंकि जब हम उसके बैरी थे उसने अपनी मृत्यु के द्वारा परमेश्वर से हमारा मेलमिलाप कराया तो अब तो जब हमारा मेलमिलाप हो चुका है उसके जीवन से हमारी और कितनी अधिक रक्षा होगी।

    11. इतना ही नहीं है हम अपने प्रभु यीशु के द्वारा परमेश्वर की भक्ति पाकर अब उसमें आनन्द लेते हैं। आदम और यीशु

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    1. कुछ दिनों बाद यीशु वापस कफरनहूम आया तो यह समाचार फैल गया कि वह घर में है।

    2. फिर वहाँ इतने लोग इकट्ठे हुए कि दरवाजे के बाहर भी तिल धरने तक को जगह न बची। जब यीशु लोगों को उपदेश दे रहा था

    3. तो कुछ लोग लकवे के मारे को चार आदमियों से उठवाकर वहाँ लाये।

    4. किन्तु भीड़ के कारण वे उसे यीशु के पास नहीं ले जा सके। इसलिये जहाँ यीशु था उसके ऊपर की छत का कुछ भाग उन्होंने हटाया और जब वे खोद कर छत में एक खुला सूराख बना चुके तो उन्होंने जिस बिस्तर पर लकवे का मारा लेटा हुआ था उसे नीचे लटका दिया।

    5. उनके इतने गहरे विश्वास को देख कर यीशु ने लकवे के मारे से कहा, “हे पुत्र, तेरे पाप क्षमा हुए।”

    6. उस समय वहाँ कुछ धर्मशास्त्री भी बैठे थे। वे अपने अपने मन में सोच रहे थे,

    7. “यह व्यक्ति इस तरह बात क्यों करता है? यह तो परमेश्वर का अपमान करता है। परमेश्वर के सिवा, और कौन पापों को क्षमा कर सकता है?”

    8. यीशु ने अपनी आत्मा में तुरंत यह जान लिया कि वे मन ही मन क्या सोच रहे हैं। वह उनसे बोला, “तुम अपने मन में ये बातें क्यों सोच रहे हो?

    9. सरल क्या है: इस लकवे के मारे से यह कहना कि तेरे पाप क्षमा हुए या यह कहना कि उठ, अपना बिस्तर उठा और चल दे?

    10. किन्तु मैं तुम्हें प्रमाणित करूँगा कि इस पृथ्वी पर मनुष्य के पुत्र को यह अधिकार है कि वह पापों को क्षमा करे।” फिर यीशु ने उस लकवे के मारे से कहा,

    11. “मैं तुझ से कहता हूँ, खड़ा हो, अपना बिस्तर उठा और अपने घर जा।”

    12. सो वह खड़ा हुआ, तुरंत अपना बिस्तर उठाया और उन सब के देखते ही देखते बाहर चला गया। यह देखकर वे अचरज में पड़ गये। उन्होंने परमेश्वर की प्रशंसा की और बोले, “हमने ऐसा कभी नहीं देखा!” लेवी (मत्ती) यीशु के पीछे चलने लगा