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Holy Communion Service in Malayalam

Worship Service

Sunday
    
August 17, 2025

Services

02:00 PM

Holy Communion Service in Malayalam

Lectionary Theme: eformation Sunday Church that needs to be cleansed every day Tenth Sunday after Pentecost

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    1. राजा योशिय्याह ने यहूदा और इस्राएल के सभी प्रमुखों से आने और उससे मिलने के लिये कहा।

    2. तब राजा यहोवा के मन्दिर गया। सभी यहूदा के लोग और यरूशलेम में रहने वाले लोग उसके साथ गए। याजक, नबी, और सभी व्यक्ति, सबसे अधिक महत्वपूर्ण से सबसे कम महत्व के सभी उसके साथ गए। तब उसने साक्षीपत्र की पुस्तक पढ़ी। यह वही नियम की पुस्तक थी जो यहोवा के मन्दिर में मिली थी। योशिय्याह ने उस पुस्तक को इस प्रकार पढ़ा कि सभी लोग उसे सुन सकें।

    3. राजा स्तम्भ के पास खड़ा हुआ और उसने यहोवा के साथ वाचा की। उसने यहोवा का अनुसरण करना, उसकी आज्ञा, वाचा और नियमों का पालन करना स्वीकार किया। उसने पूरी आत्मा और हृदय से यह करना स्वीकार किया। उसने उस पुस्तक में लिखी वाचा को मानना स्वीकार किया। सभी लोग यह प्रकट करने के लिये खड़े हुए कि वे राजा की वाचा का समर्थन करते हैं।

    4. तब राजा ने महायाजक हिलकिय्याह, अन्य याजकों और द्वारपालों को बाल, अशेरा और आकाश के नक्षत्रों के सम्मान के लिये बनी सभी चीज़ों को यहोवा के मन्दिर के बाहर लाने का आदेश दिया। तब योशिय्याह ने उन सभी को यरूशलेम के बाहर किद्रोन के खेतों में जला दिया। तब राख को वे बेतेल ले गए।

    5. यहूदा के राजाओं ने कुछ सामान्य व्यक्तियों को याजकों के रूप में सेवा के लिये चुना था। ये लोग हारून के परिवार से नहीं थे! वे बनावटी याजक यहूदा के सभी नगरों और यरूशलेम के चारों ओर के नगरों में उच्च स्थानों पर सुगन्धि जला रहे थे। वे बाल, सूर्य, चन्द्र, राशियों (नक्षत्रों के समूह) और आकाश के सभी नक्षत्रों के सम्मान में सुगन्धि जला रहे थे। किन्तु योशिय्याह ने उन बनावटी याजकों को रोक दिया।

    6. योशिय्याह ने अशेरा स्तम्भ को यहोवा के मन्दिर से हटाया। वह अशेरा स्तम्भ को नगर के बाहर किद्रोन घाटी को ले गया और उसे वहीं जला दिया। तब उसने जले खण्ड़ों को कूटा तथा उस राख को साधारण लोगों की कब्रों पर बिखेरा।

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    10. कुछ भी हो, तूने मेरी शिक्षा का पालन किया है। मेरी जीवन पद्धति, मेरे जीवन के उद्देश्य, मेरे विश्वास, मेरी सहनशीलता, मेरे प्रेम, मेरे धैर्य

    11. मेरी उन यातनाओं और पीड़ाओं में मेरा साथ दिया है तुम तो जानते ही हो कि अंताकिया, इकुनियुम और लुस्त्रा में मुझे कितनी भयानक यातनाएँ दी गयी थीं जिन्हें मैंने सहा था। किन्तु प्रभु ने उन सबसे मेरी रक्षा की।

    12. वास्तव में परमेश्वर की सेवा में जो नेकी के साथ जीना चाहते हैं, सताये ही जायेंगे।

    13. किन्तु पापी और ठग दूसरों को छलते हुए तथा स्वयं छले जाते हुए बुरे से बुरे होते चले जायेंगे।

    14. किन्तु तुमने जिन बातों को सीखा और माना है, उन्हें करते जाओ। तुम जानते हो कि उन बातों को तुमने किनसे सीखा है।

    15. और तुझे पता है कि तू बचपन से ही पवित्र शास्त्रों को भी जानता है। वे तुझे उस विवेक को दे सकते हैं जिससे मसीह यीशु में विश्वास के द्वारा छुटकारा मिल सकता है।

    16. सम्पूर्ण पवित्र शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है। यह लोगों को सत्य की शिक्षा देने, उनको सुधारने, उन्हें उनकी बुराइयाँ दर्शाने और धार्मिक जीवन के प्रशिक्षण में उपयोगी है।

    17. जिससे परमेश्वर का प्रत्येक सेवक शास्त्रों का प्रयोग करते हुए हर प्रकार के उत्तम कार्यों को करने के लिये समर्थ और साधन सम्पन्न होगा।

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    2. किसी की निन्दा न करें। शांति-प्रिय और सज्जन बनें। सब लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करें।

    3. यह मैं इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि एक समय था, जब हम भी मूर्ख थे। आज्ञा का उल्लंघन करते थे। भ्रम में पड़े थे। तथा वासनाओं एवं हर प्रकार के सुख-भोग के दास बने थे। हम दुष्टता और ईर्ष्या में अपना जीवन जीते थे। हम से लोग घृणा करते थे तथा हम भी परस्पर एक दूसरे को घृणा करते थे।

    4. किन्तु जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की मानवता के प्रति करुणा और प्रेम प्रकट हुए

    5. उसने हमारा उद्धार किया। यह हमारे निर्दोष ठहराये जाने के लिये हमारे किसी धर्म के कामों के कारण नहीं हुआ बल्कि उसकी करुणा द्वारा हुआ। उसने हमारी रक्षा उस स्नान के द्वारा की जिसमें हम फिर पैदा होते हैं और पवित्र आत्मा के द्वारा नये बनाए जाते है।

    6. उसने हम पर पवित्र आत्मा को हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के द्वारा भरपूर उँडेला है।

    7. अब परमेश्वर ने हमें अपनी अनुग्रह के द्वारा निर्दोष ठहराया है ताकि जिसकी हम आशा कर रहे थे उस अनन्त जीवन के उत्तराधिकार को पा सकें।

    8. यह कथन विश्वास करने योग्य है और मैं चाहता हूँ कि तुम इन बातों पर डटे रहो ताकि वे जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं, अच्छे कर्मों में ही लगे रहें। ये बातें लोगों के लिए उत्तम और हितकारी हैं।

    9. वंषावली सम्बन्धी विवादों, व्यवस्था सम्बन्धी झगड़ों झमेलों और मूर्खतापूर्ण मतभेदों से बचा रह क्योंकि उनसे कोई लाभ नहीं, वे व्यर्थ हैं।

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    15. फिर वे यरूशलेम को चल पड़े। जब उन्होंने मन्दिर में प्रवेश किया तो यीशु ने उन लोगों को जो मन्दिर में ले बेच कर रहे थे, बाहर निकालना शुरु कर दिया। उसने पैसे का लेन देन करने वालों की चौकियाँ उलट दीं और कबूतर बेचने वालों के तख्त पलट दिये।

    16. और उसने मन्दिर में से किसी को कुछ भी ले जाने नहीं दिया।

    17. फिर उसने शिक्षा देते हुए उनसे कहा, “क्या शास्त्रों में यह नहीं लिखा है, ‘मेरा घर सभी जाति के लोगों के लिये प्रार्थना-गृह कहलायेगा?’ किन्तु तुमने उसे ‘चोरों का अड्डा’ बना दिया है।”

    18. जब प्रमुख याजकों और धर्मशास्त्रियों ने यह सुना तो वे उसे मारने का कोई रास्ता ढूँढने लगे। क्योंकि भीड़ के सभी लोग उसके उपदेश से चकित थे। इसलिए वे उससे डरते थे।